Thursday, April 16, 2009

Rishtey

रिश्ते


यह तो हमारा भ्रम है
कि हम रिश्ते
बनाते और तोड़ते हैं
सच तो यह है
कि रिश्ते
हमें तोड़ते और बनाते हैं

गलत है यह सोच
कि रिश्ते हमें
हँसाते या रुलाते हैं
रिश्ते तो आईना हैं
बस हमें अपनी शक्ल
दिखलाते हैं

यह तो हमारा भ्रम है
कि हम रिश्ते निभाते हैं
सच तो यह है
कि आखरी दम तक
रिश्ते हमारा साथ
निभाते हैं

रिश्ते ही वह सीढ़ी हैं
जिस पर चढ़कर
हम भगवान के घर जाते हैं