मृगतृष्णा
दश्त में चले जा रही हूँ
ever hopeful, ever striving
मेरा रिश्ता पानी से नहीं
प्यास से है
मेरा नाता मिलन से नहीं
उसकी आस से है
सम्बंध अब जान से नहीं
हर इक साँस से है
मोह जीवन से नहीं
जीने के अहसास से है
शुक्रगुज़ार हूँ उन चाहतों की
जिन्होने तड़पाया है
सर आँखों पर हैं वह उम्मीदें
जिन के सहारे रेगिस्तान
पार हो पाया है
without the mercy of mirages
कदम नहीं उठते,
फ़ासले नहीं टलतें
2
दश्त में चले जा रही हूँ
धड़कनों को बुलंद रखे
ऐसे अगर मर भी जाऊं
तो कोई गिला नहीं
चाहत के सिवा अब मेरा
और कोई सिलसला नहीं
without the mercy of mirages
कदम नहीं उठते,
फ़ासले नहीं टलतें
झूठी ही क्यों न हो मेरी आस
है वो मेरे दिल के कितने पास
सिर्फ़ हमारे सपने ही तो अपने हैं
और कौन है जिस पर है
विश्वास
Tuesday, November 3, 2009
Thursday, April 16, 2009
Rishtey
रिश्ते
यह तो हमारा भ्रम है
कि हम रिश्ते
बनाते और तोड़ते हैं
सच तो यह है
कि रिश्ते
हमें तोड़ते और बनाते हैं
गलत है यह सोच
कि रिश्ते हमें
हँसाते या रुलाते हैं
रिश्ते तो आईना हैं
बस हमें अपनी शक्ल
दिखलाते हैं
यह तो हमारा भ्रम है
कि हम रिश्ते निभाते हैं
सच तो यह है
कि आखरी दम तक
रिश्ते हमारा साथ
निभाते हैं
रिश्ते ही वह सीढ़ी हैं
जिस पर चढ़कर
हम भगवान के घर जाते हैं
यह तो हमारा भ्रम है
कि हम रिश्ते
बनाते और तोड़ते हैं
सच तो यह है
कि रिश्ते
हमें तोड़ते और बनाते हैं
गलत है यह सोच
कि रिश्ते हमें
हँसाते या रुलाते हैं
रिश्ते तो आईना हैं
बस हमें अपनी शक्ल
दिखलाते हैं
यह तो हमारा भ्रम है
कि हम रिश्ते निभाते हैं
सच तो यह है
कि आखरी दम तक
रिश्ते हमारा साथ
निभाते हैं
रिश्ते ही वह सीढ़ी हैं
जिस पर चढ़कर
हम भगवान के घर जाते हैं
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