कभी रोता है कभी करहiता है
विरहा का ना जाने कौन सा गीत
छत से उल्टा लटका यह पंखा
बार बार मुझे सुनाता है
ना कोई राजा है ना कोई रानी है
बस छोटी सी इसकी कहानी है
मौसम की तपिश में
सपनो के जल जाने की
ज़िंदगी की राह चलते चलते
दूर अपने से खुद को पाने की
गर्म कमरे में ठंडी साँसे लेता
रोता सिसकाता है यह पंखा
Switch it off
put on the AC, dammit
Or get up, go out walking
can't lie there staring at the ceiling
listening, for godsake, to a fan talking
Yes, get up and go out walking
मैं तो बाहर चली जाती हूँ
पर अंदर सर के
घूमता जाता है यह पंखा
Wednesday, September 24, 2008
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