आज इंक़लाब मत लाना
सारी दौड़, धपत, धूल, धूप से बाहर आ जाओ
किसी घने पेड़ की छाँव में एक खटिया बिछाओ
कलम हाथ उठाओ या फिर बाँसुरी बजाओ
धरती की गोद में लेटकर आकाश के गुण गाओ
आएँगे तुम्हे खटिया से उठाने बहुत से शुभ चिंतक
कुछ तुम्हारे, कुछ देश के, कुछ विश्व को भी बचाने वाले
बोलेंगे 'उठो! Don’t be an escapist
How can you tolerate this situation?
The country needs you now
Get up for the sake of the nation!”
चलो हाथ उठाओ, कदम बढ़ाओ
नारे लगाओ, आरोप बरसाओ
मोमबति जलाओ, सरकार गिराओ
कुछ तो शर्म करो
सारा संसार बिखर कर टूट रहा है
कम से कम खटिया पर बैठ
गाने तो ना गाओ
चलो चलकर इंक़लाब लाओ"
मत पूछना उनसे
शांति की अम्मी का नाम अशांति कब से
मत पूछना यह भी कि आक्रोश के बीजों से
अमन कैसे उपजाएँ गे वे
और भूल कर भी मत दौहराना
वह सवाल जो सदियों पहले
ईसा मसीह ने पूछा था
मेरी मगदलिन पर पथर उठाने वालों से
कि है कोई यहाँ बिल्कुल बेकासूर तुम में?
मत कहना यह सब
क्योंकि उतेजना के कान नहीं होते
कोई नहीं सुनेगा तुम्हारा सवाल
कोई नहीं देगा तुम्हे जवाब
पर दोस्त तुम आज इंक़लाब मत लाना
तुम कोई मादक सा गीत गाना
मुझे मालूम है और तुम्हे भी कि
Your songs will not change the world
But then, everyone doesn’t have to change it
Ignore the angry footsteps
marching towards better futures
Blank out the noise
The dissatisfaction, the moral outrage
Straggler, sit you down under the trees
And enjoy the breeze
Savour this world, just for today
दोस्त तुम सजदे में सर झुकना
आज तुम कोई दुआ गाना
तुम आज इंक़लाब मत लाना
तुम आज इंक़लाब मत लाना
Friday, September 23, 2011
Tuesday, November 3, 2009
Mrigtrishna
मृगतृष्णा
दश्त में चले जा रही हूँ
ever hopeful, ever striving
मेरा रिश्ता पानी से नहीं
प्यास से है
मेरा नाता मिलन से नहीं
उसकी आस से है
सम्बंध अब जान से नहीं
हर इक साँस से है
मोह जीवन से नहीं
जीने के अहसास से है
शुक्रगुज़ार हूँ उन चाहतों की
जिन्होने तड़पाया है
सर आँखों पर हैं वह उम्मीदें
जिन के सहारे रेगिस्तान
पार हो पाया है
without the mercy of mirages
कदम नहीं उठते,
फ़ासले नहीं टलतें
2
दश्त में चले जा रही हूँ
धड़कनों को बुलंद रखे
ऐसे अगर मर भी जाऊं
तो कोई गिला नहीं
चाहत के सिवा अब मेरा
और कोई सिलसला नहीं
without the mercy of mirages
कदम नहीं उठते,
फ़ासले नहीं टलतें
झूठी ही क्यों न हो मेरी आस
है वो मेरे दिल के कितने पास
सिर्फ़ हमारे सपने ही तो अपने हैं
और कौन है जिस पर है
विश्वास
दश्त में चले जा रही हूँ
ever hopeful, ever striving
मेरा रिश्ता पानी से नहीं
प्यास से है
मेरा नाता मिलन से नहीं
उसकी आस से है
सम्बंध अब जान से नहीं
हर इक साँस से है
मोह जीवन से नहीं
जीने के अहसास से है
शुक्रगुज़ार हूँ उन चाहतों की
जिन्होने तड़पाया है
सर आँखों पर हैं वह उम्मीदें
जिन के सहारे रेगिस्तान
पार हो पाया है
without the mercy of mirages
कदम नहीं उठते,
फ़ासले नहीं टलतें
2
दश्त में चले जा रही हूँ
धड़कनों को बुलंद रखे
ऐसे अगर मर भी जाऊं
तो कोई गिला नहीं
चाहत के सिवा अब मेरा
और कोई सिलसला नहीं
without the mercy of mirages
कदम नहीं उठते,
फ़ासले नहीं टलतें
झूठी ही क्यों न हो मेरी आस
है वो मेरे दिल के कितने पास
सिर्फ़ हमारे सपने ही तो अपने हैं
और कौन है जिस पर है
विश्वास
Thursday, April 16, 2009
Rishtey
रिश्ते
यह तो हमारा भ्रम है
कि हम रिश्ते
बनाते और तोड़ते हैं
सच तो यह है
कि रिश्ते
हमें तोड़ते और बनाते हैं
गलत है यह सोच
कि रिश्ते हमें
हँसाते या रुलाते हैं
रिश्ते तो आईना हैं
बस हमें अपनी शक्ल
दिखलाते हैं
यह तो हमारा भ्रम है
कि हम रिश्ते निभाते हैं
सच तो यह है
कि आखरी दम तक
रिश्ते हमारा साथ
निभाते हैं
रिश्ते ही वह सीढ़ी हैं
जिस पर चढ़कर
हम भगवान के घर जाते हैं
यह तो हमारा भ्रम है
कि हम रिश्ते
बनाते और तोड़ते हैं
सच तो यह है
कि रिश्ते
हमें तोड़ते और बनाते हैं
गलत है यह सोच
कि रिश्ते हमें
हँसाते या रुलाते हैं
रिश्ते तो आईना हैं
बस हमें अपनी शक्ल
दिखलाते हैं
यह तो हमारा भ्रम है
कि हम रिश्ते निभाते हैं
सच तो यह है
कि आखरी दम तक
रिश्ते हमारा साथ
निभाते हैं
रिश्ते ही वह सीढ़ी हैं
जिस पर चढ़कर
हम भगवान के घर जाते हैं
Friday, October 10, 2008
Nahin Chahiye
नहीं चाहिए
नहीं चाहिए यह बुद्धि मुझे,
नहीं यह विवेक
किस काम के हैं ज़हन और ज़मीर
गर सब का दाता है एक?
यह बता मुझे, ए खुदा
सब तरफ़ तू ही है ना छाया,
यह सारा जग तेरी ही तो है माया
फ़िर धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय
का स्वांग यह तूने क्यों रचाया
यह सही और ग़लत का भेद
तूने मेरे सर क्यों जमाया?
बता मुझे
क्यों चढूँ पहाड़ कोई
जब वादी में भी तू है
क्यों करूँ मौजों से मुक़ाबला
जब साहिल पर भी तू है
क्यों बनूँ विजयी मैं
जब शिकस्त में भी तू है
क्यों खोजूँ हरदम उजाले मैं
जब रातों के साए में भी तू है?
क्यों निभाए मोहब्बतें कोई
जब रुखसत और तनहाई में भी तू है
क्यों करें कोई दवा दारू
जब दर्द में भी तू है
क्यों करें हम कोई प्रयास
आलस में भी तो तू है
जियें क्यों हम शांति-अमन से
जब आतंकवाद में भी तू है
बता ना मौला
क्या मुनाफ़ा और क्या नुकसान
जब सारा हिसाब-किताब ही तू है?
सच, वापिस लेले यह बुद्धि और विवेक
नहीं यह मेरे किसी काम के देख
देना है कुछ तो बदले में भेज देना
अपार प्रेम और अटूट संवेदना
डूब जाऊँ उसमें और डुबा दूँ जहाँ तेरा
डूब जाऊँ उसमें और डुबा दूँ जहाँ तेरा
नहीं चाहिए यह बुद्धि मुझे,
नहीं यह विवेक
किस काम के हैं ज़हन और ज़मीर
गर सब का दाता है एक?
यह बता मुझे, ए खुदा
सब तरफ़ तू ही है ना छाया,
यह सारा जग तेरी ही तो है माया
फ़िर धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय
का स्वांग यह तूने क्यों रचाया
यह सही और ग़लत का भेद
तूने मेरे सर क्यों जमाया?
बता मुझे
क्यों चढूँ पहाड़ कोई
जब वादी में भी तू है
क्यों करूँ मौजों से मुक़ाबला
जब साहिल पर भी तू है
क्यों बनूँ विजयी मैं
जब शिकस्त में भी तू है
क्यों खोजूँ हरदम उजाले मैं
जब रातों के साए में भी तू है?
क्यों निभाए मोहब्बतें कोई
जब रुखसत और तनहाई में भी तू है
क्यों करें कोई दवा दारू
जब दर्द में भी तू है
क्यों करें हम कोई प्रयास
आलस में भी तो तू है
जियें क्यों हम शांति-अमन से
जब आतंकवाद में भी तू है
बता ना मौला
क्या मुनाफ़ा और क्या नुकसान
जब सारा हिसाब-किताब ही तू है?
सच, वापिस लेले यह बुद्धि और विवेक
नहीं यह मेरे किसी काम के देख
देना है कुछ तो बदले में भेज देना
अपार प्रेम और अटूट संवेदना
डूब जाऊँ उसमें और डुबा दूँ जहाँ तेरा
डूब जाऊँ उसमें और डुबा दूँ जहाँ तेरा
Wednesday, September 24, 2008
यह पंखा
कभी रोता है कभी करहiता है
विरहा का ना जाने कौन सा गीत
छत से उल्टा लटका यह पंखा
बार बार मुझे सुनाता है
ना कोई राजा है ना कोई रानी है
बस छोटी सी इसकी कहानी है
मौसम की तपिश में
सपनो के जल जाने की
ज़िंदगी की राह चलते चलते
दूर अपने से खुद को पाने की
गर्म कमरे में ठंडी साँसे लेता
रोता सिसकाता है यह पंखा
Switch it off
put on the AC, dammit
Or get up, go out walking
can't lie there staring at the ceiling
listening, for godsake, to a fan talking
Yes, get up and go out walking
मैं तो बाहर चली जाती हूँ
पर अंदर सर के
घूमता जाता है यह पंखा
विरहा का ना जाने कौन सा गीत
छत से उल्टा लटका यह पंखा
बार बार मुझे सुनाता है
ना कोई राजा है ना कोई रानी है
बस छोटी सी इसकी कहानी है
मौसम की तपिश में
सपनो के जल जाने की
ज़िंदगी की राह चलते चलते
दूर अपने से खुद को पाने की
गर्म कमरे में ठंडी साँसे लेता
रोता सिसकाता है यह पंखा
Switch it off
put on the AC, dammit
Or get up, go out walking
can't lie there staring at the ceiling
listening, for godsake, to a fan talking
Yes, get up and go out walking
मैं तो बाहर चली जाती हूँ
पर अंदर सर के
घूमता जाता है यह पंखा
Thursday, February 14, 2008
Immortality
रात ग़ालिब आए ख्वाब मॅ
मैने कहा "अरे चचा तुम यहाँ कैसे?"
बोले बिटिया Immortality isn't at all
what its cut out to be
बड़ी निकम्मी चीज़ है यह
न जाने कहाँ कहाँ नहीं जीना पड़ता
तुम जैसे उभरते शायरों के ख्वाबों मॅ
फटी पुरानी किताबों मॅ
सरकारी खातों और हिसाबों मॅ
टूरिस्ट गाइड के ज्वाबों मॅ
I said “You must be joking
आप भी मज़ाक कर रहे हैं ना"
बोले मज़ाक कहाँ तौबा
कभी जी के देखना ज़रा
मोहब्बत कि घिसी पिटी बातों मॅ
आशिक़ों कि झूंटी सौगातों मॅ
हिज्र और विसाल दोनो की रातों मॅ
टूटते दिलों और ज़ज्बातों मॅ
उफ्फ
मेरी सलाह मानो तो अच्छे से जीना
और वक़्त पर मर भी जाना
कुछ नही रखा मरने के बाद जीने मॅ
जब दिल ही नही धड़कता हो सीने मॅ
Believe me my dear
sometimes i feel like an old tart
walking endlessly on new streets.
Perish immortality
I could kill for a good night's sleep.
मैने कहा "अरे चचा तुम यहाँ कैसे?"
बोले बिटिया Immortality isn't at all
what its cut out to be
बड़ी निकम्मी चीज़ है यह
न जाने कहाँ कहाँ नहीं जीना पड़ता
तुम जैसे उभरते शायरों के ख्वाबों मॅ
फटी पुरानी किताबों मॅ
सरकारी खातों और हिसाबों मॅ
टूरिस्ट गाइड के ज्वाबों मॅ
I said “You must be joking
आप भी मज़ाक कर रहे हैं ना"
बोले मज़ाक कहाँ तौबा
कभी जी के देखना ज़रा
मोहब्बत कि घिसी पिटी बातों मॅ
आशिक़ों कि झूंटी सौगातों मॅ
हिज्र और विसाल दोनो की रातों मॅ
टूटते दिलों और ज़ज्बातों मॅ
उफ्फ
मेरी सलाह मानो तो अच्छे से जीना
और वक़्त पर मर भी जाना
कुछ नही रखा मरने के बाद जीने मॅ
जब दिल ही नही धड़कता हो सीने मॅ
Believe me my dear
sometimes i feel like an old tart
walking endlessly on new streets.
Perish immortality
I could kill for a good night's sleep.
Monday, August 27, 2007
Kuchh Na Bolenge
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